महाराष्ट्र से लेकर मिजोरम तक... बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए किन नेताओं पर लगाया दांव, देखें लिस्ट

 

भारतीय जनता पार्टी ने नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए अध्यक्षों का चयन किया है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अध्यक्षों का चुनाव निर्विरोध हुआ है।

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बीजेपी ने नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने अध्यक्षों का चुनाव किया।
(फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने अध्यक्षों का चुनाव कर लिया है। पिछले साल पार्टी के आंतरिक चुनाव शुरू होने के बाद से अब तक 22 राज्यों में उसके संगठनात्मक प्रमुखों का चुनाव हो चुका है। इसके साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक आवश्यक औपचारिकता भी पूरी हो गई है।

महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए, जिसमें पार्टी ने संगठन में लंबे समय तक काम करने वाले और सामाजिक मानदंडों पर खरा उतरने वाले नेताओं को प्राथमिकता दी। रवींद्र चव्हाण, एन रामचंदर राव, पी वी एन माधव, राजीव बिंदल और महेंद्र भट्ट को क्रमशः इन राज्यों में पार्टी अध्यक्ष घोषित किया गया। इसी तरह अंडमान एवं निकोबार में अनिल तिवारी को पार्टी अध्यक्ष चुना गया।

क्रमांकप्रदेश / केंद्रशासित प्रदेशनया प्रदेश अध्यक्ष
1आंध्र प्रदेशपी. वी. एन. माधव
2महाराष्ट्ररवींद्र चव्हाण
3मध्य प्रदेशहेमंत खंडेलवाल
4तेलंगानाएन. रामचंदर राव
5उत्तराखंडमहेंद्र भट्ट
6हिमाचल प्रदेशडॉ. राजीव बिंदल
7पुडुचेरीवी. पी. रामलिंगम
8अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूहअनिल तिवारी
9मिजोरमके. बेइचुआ

बीजेपी के संवैधानिक निर्देश को पूरा किया

पिछले कुछ दिनों में कई प्रदेश प्रमुखों के चुनाव ने बीजेपी के संवैधानिक निर्देश को पूरा किया है, जिसके तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू की गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की जगह लेंगे।

कम से कम 19 में अध्यक्षों का चुनाव होना आवश्यक

बीजेपी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसके 37 संगठनात्मक राज्यों में से कम से कम 19 में अध्यक्षों का चुनाव होना आवश्यक है।

जनवरी 2020 में चुने गए नड्डा का तीन साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से उन्हें विस्तार मिलता रहा है। पहले उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के कारण और फिर संगठनात्मक कवायद के कारण विस्तार दिया गया था।

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