पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना को मार्च 2026 तक कम से छह हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) 'तेजस' मिल जाएंगे। इन अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का निर्माण कर रही कंपनी हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के प्रमुख ने यह जानकारी दी।

जीई एयरोस्पेस द्वारा इंजन की आपूर्ति में विलंब

उन्होंने कहा है कि तेजस की आपूर्ति में हुई देरी का कारण जीई एयरोस्पेस द्वारा इंजन की आपूर्ति में विलंब है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद यह चर्चा का विषय बन गया।

एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) डीके सुनील ने कहा कि यह देरी केवल अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस द्वारा समय पर एफ404 इंजन की आपूर्ति करने में असमर्थता के कारण हुई है।

भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में आसानी होगी

एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि जीई एयरोस्पेस द्वारा चालू वित्त वर्ष में 12 इंजन की आपूर्ति किए जाने की उम्मीद है। इससे भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में आसानी होगी।

उन्होंने कहा-'हर कंपनी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। दुर्भाग्यवश, एलसीए मार्क-1ए के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। हमने विमान बना लिए हैं और आज की तारीख में हमारे पास छह विमान तैयार हैं।'

उन्होंने आगे कहा -'लेकिन जीई एयरोस्पेस से इंजन की आपूर्ति नहीं हुई है। उसे 2023 में इंजन की आपूर्ति करनी थी, लेकिन अब तक हमें केवल एक इंजन मिला है। जीई की ओर से देरी कोविड महामारी के दौरान उत्पादन में विलंब और कंपनी के कई वरिष्ठ इंजीनियरों के चले जाने के कारण हुई, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में बाधा पैदा हुई।'

एचएएल को मार्च 2026 तक 12 जेट इंजन मिलने की उम्मीद

सुनील के अनुसार, जीई एयरोस्पेस के साथ तकनीकी मुद्दों का समाधान कर लिया गया है और एचएएल को मार्च 2026 तक 12 जेट इंजन मिलने की उम्मीद है।